न्याय दिलाने में अधिवक्ता कैलाश व ओंकारनाथ के कार्य सराहनीय।

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गोरखपुर, उत्तरप्रदेश।


सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पंकज मित्थल ने शुक्रवार को दीवानी न्यायालय में कहा कि
न्याय दिलाने में अधिवक्ताओं की भूमिका अहम व महत्वपूर्ण है। सिविल कोर्ट गोरखपुर में न्याय दिलाने में अधिवक्ताओं की श्रृंखला है। इसी कड़ी में स्मृतिशेष (स्वर्गीय) कैलाश पति मिश्रा व स्मृति शेष ओंकार नाथ मिश्र के कार्य मिसाल हैं। जो न्याय व अधिवक्ताओं के हित में हैं। गौरव बढ़ाने में न्याय दिलाने में जो कार्य किया वह सदैव याद किया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली के न्यायाधीश दीवानी न्यायालय में बार एसोसिएशन के तत्वावधान में स्वर्गीय कैलाश पति मिश्रा व स्वर्गीय ओंकार नाथ मिश्र के चित्र का अनावरण कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दोनों अधिवक्ता के रूप में दोनों के कार्य प्रेरणा प्रद व मार्गदर्शन के साथ उर्जा का संचार करने वाला है। स्वर्गीय कैलाश पति मिश्रा सिविल कोर्ट गोरखपुर में 1946 से 1994 की अवधि में लगभग 48 वर्षों तक वकालत करते हुए ख्याति अर्जित किया। सरकारी हाईस्कूल बस्ती, इविंग क्रिश्चियन कालेज इलाहाबाद और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले 1940 में गणित में एमए, 1944 में एलएलबी. उत्तीर्ण किया। 1945 में अधिवक्ता रूप में बार में शामिल हुए। कानून के सिविल पक्ष पर विशेष रूप से अभ्यास करते रहे, सिविल कोर्ट क्लब के संस्थापक सदस्य रहे। पूर्वोत्तर रेलवे के लीगल एडवाइजर होने के साथ सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के अधिवक्ता के रूप में कार्य किया। गोरखपुर के बड़े सिविल मुकदमों के साथ विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के न्यायिक मुकदमों सहयोगी भूमिका का निर्वहन किया।
संत विनोवा डिग्री कालेज देवरिया के आजीवन प्रबंधक होने के साथ तुलसीदास इंटर कालेज (टीडीएम) गोरखपुर के साथ विभिन्न शैक्षिक संस्थानों से जुड़कर शिक्षा के क्षेत्र योगदान देने का कार्य किया। जनता हाईस्कूल बिशनपुरा के संस्थापक़ टेनिस, बैडमिंटऩ़ के साथ पढ़ने और कृषि व बागवानी में रुचि रखने के साथ न्याय दिलाने में सदैव तत्पर रहे। उनका निधन 21 नवंबर 1994 को हुआ। अधिवक्ता के रूप में उनके कार्य प्रेरणा स्रोत हैं।
स्मृतिशेष ओंकारनाथ मिश्रा एडवोकेट अपने पिता के आदर्श को आत्मसात करके स्मृतिशेष ओंकार नाथ मिश्र ने न्याय दिलाने में तत्पर रहे। सिविल कोर्ट गोरखपुर में 1967 से 2021 की अवधि के दौरान 50 वर्षों से अधिक समय तक वकालत करते हुए न्याय दिलाने में योगदान किया। संतकबीर परिनिर्वाण स्थली कबीर गुफा के जांच टीम में अहम योगदान के साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों में कार्य किया। मंडी समिति के अधिवक्ता होने के साथ रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल के साथ सरकारी व गैर सरकारी आब्रिट्रेशन में
में अपनी सेवाएं दी। आब्रिट्रेशन काउंसिल आफ इंडिया नई दिल्ली व इंडियन इंस्ट्च्यूट नई दिल्ली के सदस्य रहे। अधिवक्ता होने के साथ सामाजिक कार्यों में जो योगदान किया जो आदर्श है। वह
26 अप्रैल 2021 कोराना काल में उनका निधन हो गया और वे जीवन भर इसी पेशे में लगे रहे। गोरखपुर के बार एसोसिएशन सभागार में दोनों के चित्र लगाने का जो निर्णय आपने लिया वह सराहनीय है। इससे अन्य अधिवक्ताओं को प्रेरणा मिलेगी। एक परिवार की तीसरी पीढ़ी का का अधिवक्ता के रूप सेवा करना सभी प्रशंसनीय है। जो सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट आन रिकार्ड अनुपम मिश्र निर्वहन कर रहे हैं।
सदर सांसद रवि किशन शुक्ला एवं मेयर डाॅ. मंगलेश कुमार श्रीवास्तव ने बुके देकर एवं बार एसोसिएशन के पदाधिकारियो ने संयुक्त रूप से माल्यार्पण कर किया।
इस अवसर पर एडवोकेट आन रिकार्ड अनुपम मिश्रा, पारिवारिक न्यायालय के जज राजेश्वर शुक्ल, बार काउंसिल सदस्य एवं पूर्व अध्यक्ष मधुसूदन त्रिपाठी, बार एसोसिएशन सिविल कोर्ट गोरखपुर के अध्यक्ष भानू प्रताप पाण्डेय, महामंत्री गिरिजेश मणि त्रिपाठी, अवनीश नाथ मिश्रा, संगीता तिवारी, रामेश्वर धर द्विवेदी, धर्मेन्द्र मिश्रा, नरेंद्र धर द्विवेदी, परमानन्द राम त्रिपाठी, रवि दूबे फैय्याज खान, सुभाष शुक्ल, अम्बिका श्रीवास्तव,डाॅ. सोनी सिंह, डाॅ. सुजीत कुमार श्रीवास्तव, इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सेराज अहमद कुरैशी, सतीश मणि त्रिपाठी,
एवं प्रशासनिक अधिकारी व अधिवक्ता गण उपस्थित रहें।


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