अरोड़ा परिवार के अदालती चालबाजी से किये अवैध कब्जे पर उठी जांच की मांग

Please Enter Your Email ID

हिन्दुस्तान स्काउटस् के मामले निरस्त

मनोज भारद्वाज
दिल्ली। शिक्षण क्षेत्र की प्रतिष्ठत सामाजिक संस्था हिन्दुस्तान स्काउटस् व गाइडस् का छह साल से अवैध लोगों द्वारा भी समानान्तर संचालन हो रहा था। मूल मामला रोहणी में 364/2019 था जिसको दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में स्थानीय अदालत ने चलन योग्य नहीं पाया। सेवानिवृति आयु की अनुपालना करने में हुई कथित अनियमितता पर मंत्रालय द्वारा सरकारी अनुदान पर रोक लगा दी गयी थी।
इस बारे में मिली जानकारी में माउंट आबू रोहिणी स्कूल के मालिक भरत अरोड़ा का साजिशन शामिल होना पाया गया है। अपने चालाक दिमाग की उपज से स्थगित चुनाव में वह अपने को चेयरमैन के नाते चयनित करके दस्तावेज तैयार कराता है। रातों रात बदलाव करते कोषाध्यक्ष में अपनी निकट संबधी और परिचित महिला का नाम डालता है। पत्नि ज्योति अरोड़ा को कमीश्नर दिखाता है। इसके बाद अदालती मामले की आड़ में करीब नब्बे साल के सेवानिवृत बुजुर्ग और अदालत तथा मंत्रालय से बाधित निवास शर्मा के साथ संस्था की गतिविधियों का परिचालन अपने स्कूल के कार्यालय से करता है। आरोप यह भी है कि सेवाकाल समाप्त होने के बाद चंपत सिंह से जबरन कागजात तैयार कर संस्था के नाम आमदनी के लिए नया खाता खुलवा कर देश भर से पैसे बटोरता रहा है।
संस्था पर कब्जे और कमाई की नीयत से अरोड़ा अपनी बीबी समेत स्कूल के कर्मी और परिचितों को पदाधिकारी बना कर नामचीन वकीलों की फौज से तथा पूर्व से निष्कासित विनोद विधुड़ी ने दर्जन भर मुकदमें करके 2019 से कमाई का जरीया बनाये हुए था। सेवानिवृत चंपत सिंह व निवास शर्मा के साथ गठजोड़ में मुकदमों की कतार लगायी हुई है। यहां तक की पैसे के लालच में अरोड़ा के एक वकील ने एक्ट से ऊपर अपने आप ही अरोड़ा को पदाधिकारी बनाने के लिए उसके पद से जबरन मामला सेशन अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर करा रखा है। संस्था पर कब्जा करने के लिए पता तो सेवानिवृत निवास शर्मा के पूर्व घर का उपयोग किया गया जहां पर एक महिला का निवास है। इस पते पर कभी भी भरत अरोड़ा के द्वारा कार्यालय के काम निष्पादित नहीं होते थे। यह जानकारी में आया है कि भरत अरोड़ा अपने स्कूल के कार्यालय से ही संस्था का काम करते रहता है।
सदस्यों को भ्रमित करने के उद्देश्य से खुद के पदाधिकारी के प्रमाण के लिए अदालत को गुमराह कर सेशन कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में मामला दायर किया। एक्ट के सेक्शन छह के अनुसार चयनित विकल्प में केवल और केवल हिन्दुस्तान स्काउटस् के राष्ट्रीय सचिव के द्वारा ही मामला दायर हो सकता है। परन्तु सारे नियम कानून को ताक पर रख भरत अरोड़ा के वकीलों ने सेशन कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में भरत अरोड़ा को अध्यक्ष पदाधिकारी बना कर मामला दायर किया। इससे सदस्य समूह और संबधित विभाग में अपनी छवि बनायी की अदालत ने मानों भरत अरोड़ा को ही पदासीन माना है।
शातिर चाल चलते हुए प्रेस कौसिंल की निरस्त शिकायतों और मंत्रालय के पत्राचार में अपने नाम और पद के उपर ही पत्रों के आधे भाग जिसमें इसका नाम और पद आता है समस्त व्हाटस्अप समुह के माध्यम से दुष्प्रचार किया है।
भरत अरोड़ा की इस सारी चालाकी पर पानी तब फिर गया जब न्याय ¬प्रक्रिया ने तेज गति से निर्णय लेते हुए इसी साल पाचं जनवरी को उसके चयन किये गये चुनाव ही रद्द करा दिये। बुद्धिजीवी वर्ग के सदस्यों से दूरभाष पर बदतमीज कर बात शुरू करना और फिर पत्नि ज्योति से वार्ता करा कर स्त्री संबधी इसकी कुटिल चाल का खुलासा सदस्यों ने अपने बनारस में हुए त्रैवार्षिक चुनाव में साझा किया।
आरोप लगाया गया है कि संस्था के इकाई के नाते संबद्धता देने के नाम पर विभिन्न अंचलों से अयोग्य लोगों को गुमराह कर पैसे लिये गये और अर्नगल तरीके से प्रमाण पत्र दिये गये। दबे जुबां से कहा जा रहा है कि प्रमाण पत्रों पर कमेटी के हस्ताक्षर होने की जगह जारीकर्ता में अवैध लोगों के हस्ताक्षर है। छह सालों में कार्यकारणी की बैठक का आयोजन नहीं होता है लेकिन यह मिनट बना कर पंजीयन कार्यालय में जमा कर देते रहे हैं। अदालत के इस आदेश के बाद इन सभी चीजों पर रोक लग जाना तय है। यद्यपि अदालत ने याची के लिए सर्वोच्च न्यायालय में जाने का विकल्प भी रखा है। परन्तु आगे की अपील के लिए भी अभी तक के जारी अदालत के आदेश को पालन करते हुए काम करना होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Translate »