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ब्रितानी हूकूमत के समय स्काउटिंग प्रशिक्षण से वंचित हिन्दुस्तानी विद्यार्थीगण को ‘हिस्कागा’ के माध्यम से ही दीक्षित करना संभव हुआ
हिंदुस्तान स्काउट्स और गाइड की स्थापना सन्1928 में भारत रत्न महामना पंडित श्री मदन मोहन मालवीय जी द्वारा अत्यंत विषम परिस्तिथियों में करने के लिए की गई थी। लगभग सौ साल होने आए, हिंदुस्तानी विद्यार्थियों में स्काउटिंग प्रशिक्षण आज स्वतंत्रता के 70 साल बाद भी नियमित तौर पर 50 लाख संख्या तक विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दे रही है। निवर्तमान और सेवा निवृत सदस्यों के द्वारा पद की लड़ाई के मामले मुकदमे में भी एक बार फिर से सुचारू परिचालन की व्यवस्था का श्रेेय संस्था के वरिष्ठ सदस्य श्री गिरीश जुयाल को जाता है।
संक्षेप में इस पर जानकारी देने के लिए हमारे साथ साक्षात्कार में मौजूद हैं राष्ट्रीय सचिव श्री गिरीश जुयाल।
संवाददाता: बताया गया कि ‘हिस्कागा‘ सरकारी मशीनरी के अनिर्णय और अदालती विवादों के चलते समस्याओं की भंवर में घिरी हुई है। समस्या के मूल कारण क्या है?
गिजु: राष्ट्रीय सचिव पद पर महकमे के द्वारा नियमों में उलझाने वाली कार्यप्रणाली। हिन्दुस्तान की जनता की 2014 में केन्द्रीय नेत्ृत्व में बदलाव पर परेशानी से विवाद या लंबित निर्णय करने वाले कर्मी के कहने पर पूरी सरकार को कटघरे में नहीं रखा जा सकता। तत्कालीन पदस्थ ने आरोप लगाया कि महकमे में बैठे कुछ लोगों के अपनी मनमर्जी के पदाधिकरियों को नहीं चुने जाने पर दो अक्टूबर2017 के चुनाव को अस्वीकारं किया।
संवाददाता: मंत्रालय के किस अधिकारी ने और किस तरह के कदम से ऐसा संवाद किया कि ‘हिस्कागा‘ आज समस्या का सामना कररही है?
गिजु: समाज व देश हित में युवा व खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों की अधिकतम आयु 70 साल की तय की है। इस आदेश को जारी करते समय अवर सचिव एस.के.पांडे ने 24 अगस्त 2017 को तुरंत प्रभाव से पद स्थगन किया जाने का ऐसा पत्र दिया जिससे संस्था की पूरी कार्यकारणी अस्तव्यस्त हो गयी। इसके आलोक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय प्रधान, राष्ट्रीय सचिव, प्रशिक्षण आयुक्त व कई पदाधिकारी को तुरंत प्रभाव से पदमुक्त किये। अनापत्ति प्रमाणपत्र के अभाव में गुजरात के पूर्वडीजीपी, निलंबित आयुक्त अनिल प्रथम, आईपीएस, 2017 में ही संस्था से हटाये जा चुके थे।
संवाददाता: इसके कारण क्या प्रभाव पड़ा?
गिजु: जब मंत्रालय के आज्ञापत्र को संस्था ने माना और नयी कार्यकारणी दी तो भी अवरसचिव एस.के.पाण्डे ने सेवा निवृत्त आईपीएस अधिकारी अनिल प्रथम के प्रभाव में जबरन ही दबाव बनाने की नीति लागू करते हुए अहमदाबाद में केन्द्रीय कार्यालय दिखा कर संस्था का एक गुट बता दिया और हर किसी पदासीन व्याक्ति के साथ मेल संवाद और पत्र व्यवहार किया जाने लगा जबकि केंद्रीय कार्यालय सर्वदा से दिल्ली में रहा और पत्र व्यवहार का अधिकार संस्था के नियमों में राष्ट्रीय सचिव के पास में ही है। सबसे पहले तो मंत्रालय ने अपनी तरफ से अनुदान को स्थगित कर दिया और वह तो किया ही, मगर इसके साथ ही भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के पत्र पर ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया का खाता बंद करा दिया।
संवाददाता: अब किस तरह की असुविधा महकमे से उत्पन्न हुई जबकि यह नियम तो पहले ही लागू था।
गिजु: समस्या विवाद उत्पन्न होने की इसलिए रही कि चुनाव में चयनित सदस्यों को दरकिनार करते हुए जिन 70 वर्ष से अधिक पूर्व और निलंबित सदस्यों को हटाया गया उनके ही साथ मंत्रालय ने दोबारा संपर्क और लिखित संवाद किया। नीति आयोग ने भी पासवर्ड सत्तर साल के अधिक उमर के लोगों को प्रदान कर दिया। ऐसे में एकाधिक लोग राष्ट्रीय सचिव के पद पर जबरन दर्शाते हुए कुछ समर्थकों के साथ अवैध प्रशिक्षण शिविर चलाते हुए गलत प्रमाण पत्र देने का कार्य कर रहे हैं।
संवाददाता: ऐसे सदस्यों के नाम क्या है?
गिजु: इनमें सर्वप्रथम करीब नब्बे साल के श्रीनिवास शर्मा हैं जिनके पुराने घर पर अब तक मंत्रालय पत्र व्यवहार कर रहा है जबकि वहां एक महिला निवास कर रही है। इसके बाद पूर्व चेयरमैन(प्रधान) पचहत्तर साल के श्री रवीन्द्र तलवार और खेल मंत्रालय से ही सेवानिवृत पूर्व अवरसचिव तिहत्तर साल के श्री चंपत सिंह है। तीनों मिल कर भरत अरोड़ा के परिवार के सभी सदस्यों यथा पत्नी, साली भाभी आदि को विभिन्न पदों पर रख कर संस्था को जबरन अपने द्वारा चलाने का नाटक कर रहें है।
दूसरी तरफ पूर्व मुख्यायुक्त श्री एस.के नन्दा व श्री डी.के.यादव और पूर्वकोषाध्यक्ष श्री महासिंह ने एक सरकारी शिक्षक नीरज पाटिल और एक दो नये लोगों को लेकर हिन्दुस्तान स्काउटस् के नाम से किराये पर एक कमरा लेकर नये पते से राष्टीय कार्यालय बनाये हुए रायता फैलाने के लिए कानूनी दांवपेच डाल कर मुकदमे करा रखे है। गुजरात के पूर्व डीजीपी तथा पूर्व आईपीएस अनिल प्रथम बिना चुनाव के ही अपने को हिन्दुस्तान स्काउट का राष्ट्रीय अध्यक्ष दिखाया है और किसी पदाधिकारी को नहीं रखा है और जो यदाकदा मुख्यायुक्त मानने के लिए अलग अलग वार्ता करते हुए दबाव बनाता है।
संवाददाता: इसके बाद आप लोगों ने क्या किया?
गिजु: संस्था के राष्ट्रीय परिषद् सदस्यों ने त्रै-वार्षिक समयकाल के पूर्ण होते देख राष्ट्रीय परिषद् के चुनाव कराए और नए पदाधिकारी नियुक्त किया और उसकी विस्तार से जानकारी बैंक और मंत्रालय के अधिकारियों को दी मगर उन्होंने पूरा रुखा रवैया अपनाया।
अब जबकि त्रैवार्षिक कार्यकाल के लिए भी दो अक्टूबर 2023 को वराणसी में चुनाव करा लिया गया मगर अब देखना है कि मंत्रालय क्या अब भी अनिर्णय की स्थिति में ही रहेगा।
संवाददाता: इन हालातो में आप लोगों ने क्या कर रहें हैं?
गिजु: सहन कर रहें है। आज तक अपना केन्द्रीय कार्यालय नहीं मिला और अब बैंक खाते बंद हैं। संस्था के संस्थापक महामना जी का त्याग तपस्या ही सदस्यों में उर्जा का कारण है। उन्होनें अंग्रेजों के अत्याचार को झेला और इनके प्रताप से ही स्वतंत्रता के सत्तर साल तक मंत्रालय और सरकारों की उदासीनता को सहा, तो संस्था के सभी गणमान्य सदस्यों ने अपनी इकाइयों को साथ लेकर सेवा भाव के सभी कार्य करते रहने का अडिग निर्णय लिया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति और राष्ट्रीय परिषद् सम्मेलन के अंतर्गत यह तय किया गया कि विद्यालयों में प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा समाज में सेवा कार्य निर्बाध गति से यथावत चलते जाएंगे।