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बरेली, उत्तर प्रदेश।
ग्यरहवी शरीफ पर बड़े पीर गौस-ए-पाक की याद में निकलने वाला जुलूस-ए-गौसिया 27 अक्टूबर को सैलानी रज़ा चौक से निकाला जाएगा। अंजुमन गौसो रज़ा (टीटीएस) के तत्वाधान में निकलने वाले जुलूस में लगभग 80 अंजुमने शिरकत करती है। जुलूस दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व बानी-ए-जुलूस सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मिया) की क़यादत में शाम 5 बजे निकाला जाएगा। जुलूस की तैयारियों को लेकर आज एक बैठक सैलानी रज़ा चौक पर सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां की सरपरस्ती में हुई।
अंजुमन गौसो रज़ा (टीटीएस) के सदर हाजी शारिक नूरी ने कहा कि दरगाह आला हज़रत के बुजुर्ग व उर्स-ए-रज़वी के मंच से देश भर के बड़े-बड़े उलेमा ने मुसलमानों से अपने सभी कार्यक्रमों में डीजे पर रोक लगाने व इसे सख्ती से रोकने का आव्हान किया था। उसी पर अमल करते हुए जुलूस में शामिल होने वाली अंजुमनों से अपील करते हुए कहा कि कोई भी अंजुमन डीजे बुक न करें। डीजे के नाम पर किसी को भी हुड़दंग की इजाज़त नही दी जाएगी। डीजे वाली किसी भी अंजुमन के सदर और सेक्टरी की दस्तारबंदी के अलावा इन अंजुमनों को इनाम भी नही दिया जाएगा। एडवांस देने की दुहाई पर भी किसी अंजुमन को शामिल नही किया जाएगा। इसलिए कोई भी अंजुमन डीजे बुक न करे।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि कायदे जुलूस हज़रत अहसन मियां की कोशिश है कि मुसलामान अपनी रोजमर्रा की जिंदगी हो,शादी ब्याह का मौका या फिर कोई भी त्यौहार वो गैर शरई कामों से दूर रहे। इस्लाम सादगी पसंद मज़हब है और डीजे बीमारों के लिए मुश्किल खड़ी कर रहे है वही दूसरी तरफ फिजूलखर्ची के साथ-साथ लड़ाई-झगड़े की वजह भी बन रहे है। इसलिए हमारे जुलूसों में चाहे जुलूस-ए-मोहम्मदी हो,जुलूस-ए-गौसिया हो या उर्स-ए-रज़वी में निकलने वाले जुलूस। जुलूस में डीजे वाली 80-90 न हो बल्कि शरई दायरे में रहकर शामिल होने वाली 10-20 अंजुमने ही काफी है। सभी अंजुमने शरई दायरे में रहकर ही जुलूस में शामिल हो।