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बरेली, उत्तर प्रदेश।
सुन्नी सूफी कौंसिल बरेली शरीफ के सुफी डाक्टर तस्लीम रजवी ने आज जुमे की तकरीर मे कहा कि
तरक्की के दौर में भी आज हम मानवतावाद का एहतेराम नही करते और अपनी दुश्मनी में हम जंग के उसूल भुला देते है और बजाय दुश्मन से लडने के आम नागरिकों,बच्चों,बूढ़ों, औरतों और आम आबादी को अपनी दुश्मनी का शिकार बनाने लगते हैं।
जब कि मानवतावाद की बुनियाद इस कानून पर कायम है कि इंसान और उसका खून एहतराम के लायक़ है”। लेकिन आज के समय में बिगड़े हुए समाज को बताने की जरूरत है कि दुशमनी और जंग में भी इंसान इंसान के खून का प्यासा न बने।जंगी कानुन और उसुल पर अमल करते हुए आम नागरिकों और बच्चो बुढों को निशाना ना बनाया जाए।
पैग़म्बरे इस्लाम ने दुनिया को जंग के कानुन बताए और फरमाया कि औरतों और बच्चों, बूढ़ों,अपाहिजों,जानवरो और हरी भरी खेतियों पर जंग में भी हमला ना करें।
मौलाना सुफ असगर नुरी ने जुमे की तकरीर में कहा कि निर्दोषों पर इजरायली हमले बंद कराने को वैश्विक स्तर पर बात होनी चाहिए, ताकत वर देशों को आगे आकर यह हमले बंद कराने चाहिए और संयुक्त राष्ट्र आदि को जंगी उसुलो की पाबंदी कराना चाहिए।
मुफ्ती तारिक नुरी पीलीभीती ने कहा कि इस्लाम में निर्दोष लोगों की जान लेना सख्त वर्जित है। निर्दोष लोगों की जान बचाने के लिए यह युद्ध बंद होना चाहिए। यह युद्ध का युग नहीं है। शांतिपूर्ण बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।मुसलमान होने के नाते, हमें मुस्लिम लोगों के जीवन की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए, चाहे मुस्लिम हो या नहीं, मानव जीवन खुदा को बहुत प्रिय है और हत्याएं हमें खुदा का अनुग्रह नहीं देंगी।
उनहोने ने आगे कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र, भारत सरकार और अन्य अंतरराष्ट्रीय शक्तियों से तुरंत हस्तक्षेप करने और शत्रुता को रोकने की अपील करते हैं।
तौहीद रजा ने कहा कि हम आलमी ताकतों से अपील करते है कि वह यह हमले रुकवाएं और फलस्तीन का मसअला बात चीत से हल करके उनको शान्ती के साथ जीने का मौका दलवाऐं।