पाठ्यक्रम को गुणवत्तायुक्त,आथुनिक और मुख्यधारा से जुड़ाव पैदा करने वाला बनाना समय की अहम जरुरत है – मुफ्ती सलीम नूरी

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सभी मदरसे आय-व्यय से संबंधित सभी दस्तावेज पारदर्शिता के साथ रखें अपडेट।

मानक पूरे करने वाले गैर मान्यताप्राप्त मदरसों को नियमानुसार मान्यता प्रदान करे मदरसा बोर्ड।

बरेली, उत्तर प्रदेश।

दरगाह आला हजरत पर उत्तर प्रदेश सुन्नी मदरसों के जिम्मेदारान की एक अहम चिंतन बैठक हुई। जिसमें उत्तरप्रदेश के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के नियमितकरण,मदारिस अरबिया की जांच-पड़ताल,और शिक्षा विभाग की ओर से गैर मान्यताप्राप्त मदरसों को बंद करने और जुर्माना नोटिस जारी करने आदि मसलो को लेकर चर्चा हुई। जिम्मेदार उलमा ने उत्तर प्रदेश के मदारिस अराबिया के जिम्मेदारान से अपील की गई कि वह अपने मदरसों के बुनियादी दस्तावेज दुरुस्त रखें,हिसाब व किताब और आय-व्यय और खातों को प्रदर्शित व दुरुस्त रखें। सीए से समय समय पर अपडेट और मेंटेन कराते रहें।
इस संबंध में दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) व सज्जादानशीन हज़रत मुफ्ती अहसन मियां अपने बुजुर्गों के नक़्शे क़दम पर चलते हुए हमेशा सुन्नी मदरसो के उत्थान और तरक्की के लिए काम करते रहे हैं। सज्जादानशीन हज़रत मुफ्ती अहसन मियां जब उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष चुने गए तब आप ही ने 2010 में मदरसा बोर्ड के दशकों पुराने पाठ्यक्रम की जगह मौजूदा पाठ्यक्रम लागू किया जिस में अरबी व फ़ारसी भाषाई साहित्य,उलूमे माश्रिकीया के साथ हिन्दी,अंग्रेजी भाषाओं और आधुनिक विषयों को भी जगह दी गई है।
इस चिंतन-मनन बैठक में मुफ्ती मोहम्मद सलीम बरेलवी ने बताया कि आजादी से पहले ही अरबी-फ़ारसी बोर्ड इलाहाबाद का गठन अरबी और फ़ारसी भाषाओं और ओरिएंटल अध्ययनों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए बनाया गया था जबकि इसी के साथ संस्कृत साहित्य और संस्कृत भाषा तथा वैदिक साहित्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संस्कृत पाठशाला बोर्ड की स्थापना की गई थी। 1996 तक अरबी व फ़ारसी बोर्ड का मुख्य कार्यालय इलाहबाद में रहा और यूपी के यह सारे मदारिस शिक्षा विभाग के अधीन रहे। बाद में 01 जनवरी 1996 में यह मदरसे शिक्षा विभाग से उतर प्रदेश अल्पसंख्यक विभाग लखनऊ के अधीन कर दिए गए और इस का मुख्य कार्यालय इलाहबाद से जवाहर भवन लखनऊ स्थानान्तरित हो गया। इन मदरसो को नियमित रुप से चलाने के लिए मदरसा शिक्षा अधिनियम 2004 और उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फ़ारसी मदरसा मान्यता और सेवा नियमावली 2016 को हुकुमत की तरफ से बनाया गया। जिस के अनुसार मदरसों को नियमानुसार मान्यता देकर समय समय पर कुछ मदरसों को अनुदानित किया जाता रहा है। लेकिन मदरसों पर किसी भी तरह की कार्यवाही केवल मदरसा अधिनियम और मदरसा विनियमावली 2016 के तहत जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के माध्यम से अल्पसंख्यक विभाग लखनऊ और उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद लखनऊ ही के स्तर पर हो सकती है,शिक्षा विभाग के स्तर से नही।
मुफ्ती सादिक रजा मिस्बाही ने कहा कि हुकुमत से अनुदान प्राप्त करने वाले यूपी में मदरसों की संख्या मात्र 556 हैं जबकि मान्यताप्राप्त गैर अनुदानित मदरसों की संख्या हजारों में है। इसके अतिरिक्त यूपी हुकूमत द्वारा कराए गए एक सर्वे (10 सितंबर से 15 नवंबर 2022) में प्रदेश के 8500 से ज्यादा मदरसे गैर मान्यता प्राप्त पाए गए।
मुफ्ती नुरुलहसन बलरामपुरी ने कहा कि देश व प्रदेश के मदरसे बहुत गरीबी में मुस्लिम समुदाय के दस-दस,बीस बीस और सौ पचास रूपए के चंदे से चलते है जिन्हे पूरे साल का खर्च जुटाना बहुत मुश्किल होता है फिर भी यह मदरसे देश से अशिक्षा के अन्धकार को दूर करने में हुकुमत की मदद कर रहे हैं। हुकुमत जिन थोडे से मदरसों को अनुदान देती है तो वह मदरसा शिक्षकों के वेतन के रूप में होता है परंतु बाकी बिल्डिंग आदि व्यवस्थाओं के लिए मदरसों को खुद संसाधन जुटाने होते हैं। समय समय पर मदरसों पर कुच्छ बेबुनियाद इल्ज़ाम भी लगते रहे हैं। जिस के कारण हुकुमत की तरफ से समय समय पर इन की जांच भी होती रही है। इधर अब खबर यह भी है कि प्रदेश के लगभग 4000 मदरसों की जांच एटीएस से कराने के लिए एक टीम गठित की गई है। इस से घबराने की जरूरत नही है बल्कि जांच में सहयोग करें साथ ही अपने जरूरी दस्तावेज दुरुस्त रखें।
मुफ्ती वसीम ने कहा कि यूपी प्रशासन की ओर से ऐसे मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया अब शुरू कर देना चाहिए मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा भी था कि मदरसा बोर्ड जल्द ही मानक पूरे करने वाले मदरसों को मान्यता देने की कार्यवाही शुरु करेगा तो अब इस पर अमल शुरु कर देने की जरुरत है।
मुफ्ती स्वालेह ने कहा कि मदरसों को फिर से सरकार की ओर से अनुदान सूची में शामिल किया जाना चाहिए यदि ऐसा हुआ तो यह स्वागत योग्य कदम होगा। क्योंकि यह मदरसा शिक्षा के लिए वित्तीय बोझ को कम करेगा। यह फायदेमंद होगा क्योंकि मदरसों में बुनियादी ढांचे के विकास और स्वच्छ भोजन और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता की सख्त जरूरत है।

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